जब थी तन्हा बैठे हम
ख्याल तेरा ही जहा मे आया
अब इस से बढकर वफा की हद क्या होगी
कि हर ज़रे मे मैने अक्स तेरा पाया
जब कभी चली बात तेरी ए दोस्त
जब्त आंसू कर गये हम लेकिन दिल को रोता पाया
कहते है वक़्त हर ज़ख्म को भर देता है लेकिन
जाने क्यो मैने अपने ज़ख्म को हर वक़्त हारा पाया
तुम तो चल दिये छोड कर तन्हा मुझको लेकिन
आंखो को हर पल तेरे इन्तेज़ार मे बिछा पाया...